ओ मेरे तरुण साथियों, उठो, जागो

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।। सुभाषचंद्र बोस ।।
नेताजी जयंती आज : हमारे लिए एक अखंड सत्य है मानव-जीवन

आज देश में ऐसे नेता नहीं दिखते, जिसके पास महान और उदात्त सपना हो, जिसे भारत के युवा अपनी आंखों में पाल सकें. सपनाविहीन देश बन गया है भारत. राजनीतिक दलों के लिए उनकी अहमियत सिर्फ वोट लेने तक है.
युवाओं में आशा, उत्साह, त्याग और पुरुषार्थ की भावना जगा सकें, ऐसे नेता कहां हैं?आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है. इस अवसर पर पढ़िए नेताजी का आह्वान, जो उन्होंने युवाओं से वर्षो पहले किया था.
हम इस संसार में किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए, किसी संदेश को प्रचारित करने के लिए जन्म ग्रहण करते हैं. जगत को ज्योति प्रदान करने के लिए आकाश में यदि सूर्य उदित होता है, वन प्रदेश में सौरभ बिखेरने को यदि दालों में फूल खिलते हैं और अमृत बरसाने को नदियां यदि समुद्र की ओर बह चलती हैं तो हम भी यौवन का परिपूर्ण आनंद और प्राणों का उत्साह लेकर मृत्युलोक में किसी सत्य की प्रतिष्ठा के लिए आये हैं.
जो अज्ञात एवं महती उद्देश्य हमारे व्यर्थतापूर्ण जीवन को सार्थक बनाता है, उसे चिंतन एवं जीवन-अनुभव द्वारा पाना होगा. सभी को आनंद का आस्वाद कराने के लिए हम यौवन के पूर्ण ज्वार में तैरते आये हैं. कारण, हम आनंद स्वरूप हैं. आनंदमय मूर्त विग्रह के रूप में इस मर्त्य में हम विचरण करेंगे. अपने आनंद में हम हंसेंगे-साथ ही जगत को भी मतवाला बनायेंगे.
जिधर हम विचरेंगे उधर निरानंद का अंधकार लज्जा से दूर हट जायेगा. हमारे स्फूर्त स्पर्श के प्रभाव-मात्र से रोग, शोक, ताप दूर होंगे. इस कष्टमय, पीड़ापूर्ण नरकधाम में हम आनंद-सागर के ज्वार को खींच लायेंगे.
आशा, उत्साह, त्याग और पुरु षार्थ हममें है. हम सृष्टि करने आये हैं. क्योंकि सृष्टि में ही आनंद है. तन, मन, बुद्धिबल से हमें सृष्टि करनी है. जो अंतर्निहित सत्य है, जो सुंदर है, जो शिव है- उसे सृष्टि पदार्थो में हम प्रस्फुटित करेंगे. आत्मदान में जो आनंद है, उस आनंद में हम खो जायेंगे. उस आनंद का अनुभव कर पृथ्वी भी धन्य हो उठेगी. फिर भी हमारे देय का अंत नहीं है, कर्म का भी अंत नहीं हैं है, क्योंकि.....
 जतो देबो प्राण बहे जाबे प्राण
  फुराबे ना आर प्राण;
  एतो कथा आछे, एतो गान आछे
  एतो प्राण आछे मोर;
  एतो सुख आछे, एतो साध आछे
  प्राण हए आछे मोर.
अनंत आशा, असीम उत्साह: अपरिमित तेज और अदम्य साहस लेकर हम आये हैं, इसलिए हमारे जीवन का श्रोत कोई नहीं रोक पायेगा. अविश्वास और नैराश्य का विशाल पर्वत ही क्यों न सम्मुख खड़ा हो अथवा समवेत मानवजाति की प्रतिकूल शक्तियों का आक्र मण ही क्यों न हो, हमारी आनंदमयी गति चिर अक्षुण्ण रहेगी.
हमलोगों का एक विशिष्ट धर्म है, उसी धर्म के हम अनुयायी हैं. जो नया है, जो सरस है, जो अनास्वादित है, उसी के हम उपासक हैं. प्राचीन में नवीनता को, जड़ में चेतना को, प्रौढ़ों में तरुण को और बंधन के बीच असीम को हम ला बैठाते हैं.
हम अतीत इतिहास-लब्ध ज्ञान को हमेशा मानने को तैयार नहीं हैं. हम अनंत पथ के यात्री अवश्य हैं, किंतु हमें अजाना पथ ही भाता है- अजाना भविष्य ही हमें प्रिय है. हम चाहते हैं-  ‘द राइट टु मेक ब्लंडर्स’  अर्थात  भूल करने का अधिकार.  तभी तो हमारे स्वभाव के प्रति सभी सहानुभूतिशील नहीं होते. हम बहुतों के लिए रचना-शून्य और श्रीविहीन हैं.
यही हमारा आनंद और यही हमारा गर्व है. तरु ण अपने समय में सभी देशों में रचना-शून्य रहा और श्रीविहीन रहा है. अतृप्त आकांक्षा के उन्माद में हम भटकते हैं, विज्ञों के उपदेश सुनने तक का समय हमारे पास नहीं होता.
भूल करते हैं, भ्रम में पड़ते हैं, फिसलते हैं, किंतु किसी प्रकार भी हमारा उत्साह घटता नहीं और न हम पीछे हटते हैं. हमारी तांडव-लीला का अंत नहीं है, क्योंकि हम अविराम-गति हैं.
हम ही देश-विदेश के मुक्ति-इतिहास की रचना करते हैं. हम यहां शांति का गंगाजल छिड़कने नहीं आते. हम आते हैं द्वंद्व उत्पन्न करने, संग्राम का आभास देने, प्रलय की सूचना देने. जहां बंधन है, जहां जड़ता है, जहां कुसंस्कार है, जहां संकीर्णता है, वहीं हमारा प्रहार होता है. हमारा एकमात्र काम है मुक्तिमार्ग को हर क्षण कंटक शून्य बनाये रखना, जिससे उस पथ पर मुक्ति-सेनाएं अबाधित आवागमन कर सकें.
मानव-जीवन हमारे लिए एक अखंड सत्य है. अत: जो स्वाधीनता हम चाहते हैं- उस स्वाधीनता को पाने के लिए युगों-युगों से हम खून बहाते आते हैं- वह स्वाधीनता हमारे लिए सर्वोपरि है. जीवन के सभी क्षेत्रों में, सभी दिशाओं में हम मुक्ति-संदेश प्रचारित करने को जन्मे हैं, चाहे समाजनीति हो, चाहे अर्थनीति, चाहे राष्ट्रनीति या धर्मनीति- जीवन के सभी क्षेत्रों में हम सत्य का प्रकाश, आनंद का उच्छ्वास और उदारता का मौलिक आधार लेकर आते रहे हैं.
अनादिकाल से हम मुक्ति का संगीत गुंजाते आये हैं. बचपन से मुक्ति की आकांक्षा हमारी नसों में प्रवाहित है. जन्म लेते ही हम जिस कातर कंठ से रो पड़ते हैं, वह मात्र पार्थिव बंधन के विरु द्ध विद्रोह का ही एक स्वर है. बचपन में रोना ही एकमात्र सहारा है. किंतु यौवन की देहरी पर कदम रखते ही बाहु और बुद्धि का सहारा हमें मिलता है. और इसी बुद्धि और बाहु की सहायता से हमने क्या नहीं किया-फिनीशिया, असीरिया, बेबीलोनिया, मिस्र, ग्रीस, रोम, तुर्की, इंगलैंड, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन, जापान, हिंदुस्तान-जिस-किसी देश के इतिहास के पृष्ठों में हमारी कीर्ति जाज्वल्यमान है.
हमारे सहयोग से सम्राट सिंहासनासीन होता है और हमारे इशारे पर वह सभय सिंहासन से उतार दिया जाता है. हमने एक तरफ पत्थर-अभिभूत प्रेमाश्रु रूपी ताजमहल का जैसे निर्माण किया है, वैसे ही दूसरी तरफ रक्त- स्नेत से धरती की प्यास बुझायी है.
हमारी सामूहिक क्षमता से ही समाज, राष्ट्र, साहित्य, कला, विज्ञान युग-युगों में देश-देश में विकसित होता रहा है. और रुद्र कराल रूप धारण कर हमने जब तांडव आरंभ किया, तब उसी तांडव के मात्र एक पद-निक्षेप से कितने ही समाज, कितने ही साम्राज्य धूल में मिल गये.
इतने दिनों के बाद अपनी शक्ति का अहसास हमें हुआ है, अपने कर्म का ज्ञान हमें हुआ है. अब हमारे ऊपर शासन और हमारा शोषण भला कौन करे? इस नवजागरण बेला में सबसे महती सत्य है- तरुणों की आत्म-प्रतिष्ठा की प्राप्ति. तरुणों की सोयी आत्मा जब जाग गयी है तब जीवन के चतुर्दिक सभी स्थलों में यौवन का रक्तिम राग पुन: दिख उठेगा.
यह जो युवकों का आंदोलन है- यह जैसे सर्वतोमुखी है, वैसे ही विश्वव्यापी भी. आज संसार के सभी देशों में, विशेषत: जहां बुढ़ापे की शीतल छाया नजर अति है, युवा संप्रदाय सर उठाकर प्रकृतिस्थ हो सदर्प मुहिम पर है. किस दिव्य आलोक से पृथ्वी को ये उदभासित करेंगे, कौन जाने? ओ मेरे तरु ण साथियों, उठो, जागो, उषा की किरण वह वहां फैल रही है.

'केजरीवाल की तमाशे की सरकार'

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली
मेरा ये ख़्याल है कि दिल्ली की जो सरकार है अभी तक लगता है कि वो नई पार्टी है, उसका संगठन ठीक नहीं है, अनुशासन ठीक नहीं है. उनके लोग और मंत्री भी मनमानी से बोलते हैं. मुझे लगता है कि अगर कुछ अनुशासन नहीं रख सकते तो हो सकता है कि वो टूट जाएगी.
ये कोई नहीं चाहता कि सरकार गिर जाए. इस पार्टी को समर्थन बहुत है. बहुत लोग चाहते हैं कि वो सरकार ठीक चलाएं और दिखाएं कि वो राज कर सकते हैं.


हालांकि अभी इस नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा कि ये पार्टी सरकार नहीं चला सकती. अभी तक ये लगता है कि अगर ये कुछ बदलाव नहीं लाते तो लोग ज़रूर कहेंगे कि ये लोग राजनीति के लिए उचित नहीं हैं, राज करने के लिए ठीक नहीं हैं.लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी ने नहीं दिखाया कि वो राज कर सकते हैं.
ये पार्टी हर मुद्दे पर सड़क पर उतर जाती है जो कि ग़लत है. आज मैं एक दुकान में गया था जहां दुकानदार ने मुझसे पूछा कि मैं केजरीवाल के बारे में क्या सोचता हूं.
मैंने उनसे कहा कि अभी तक उनकी सरकार तमाशे वाली है. ऐसे बिना सोच, बिना योजना, बिना अनुशासन के सड़क पर आना पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाएगा.

'विश्वास टूट जाएगा'

आम आदमी पार्टी, दिल्ली
अभी ये कोई नहीं कह सकता कि जनता का विश्वास टूट जाएगा लेकिन अगर यही हालत रहती है और उनके प्रदर्शन में सुधार नहीं होता और वो ये नहीं दिखा सकते कि पार्टी में अंदरूनी अनुशासन है तो विश्वास ज़रूर टूट जाएगा.
उन्हें आराम से दिल्ली में सुशासन लाना चाहिए. उन्हें दिल्ली को दिखाना चाहिए कि भ्रष्टाचार कम हुआ है, सरकारी नौकर ठीक ढंग से काम कर रहे हैं और मंत्री भी ठीक ढंग से काम करते हैं. जनता सुशासन और ईमानदार शासन चाहती है.
आम आदमी पार्टी के ये स्टिंग ऑपरेशन बहुत ख़तरनाक हैं. पत्रकार परंपरा के मुताबिक तभी स्टिंग ऑपरेशन करते हैं जब सभी विकल्पों की उम्मीद ख़त्म हो जाए. पत्रकार बिना योजना और गहरी सोच के स्टिंग ऑपरेशन नहीं करते. ये लोग अचानक से आते हैं रास्ते में और बिना सोच और बिना अनुशासन के स्टिंग ऑपरेशन कर रहे हैं.
अगर आप अपनी नीतियों को पूरा करने की कोशिश करती है और अनुशासन से काम करती है तब तो ये जनता के लिए बहुत कुछ कर सकती है.
अगर उनका यही रवैया रहा तो लोकसभा चुनावों में उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. उनके अवसर बहुत कम होंगे.
आम आदमी पार्टी
अभी उनके जनता दरबार में कैसी हालत हुई थी, इतनी पसोपेश हुई कि केजरीवाल ने कहा कि हम जनता दरबार दोबारा नहीं कर सकते. अगर आप बार-बार बोलते हैं कि लोग पुलिस के ख़िलाफ़ झंडा उठा लें तो पुलिस काम नहीं कर सकेगी, सरकार काम नहीं कर सकेगी.

'सलाह की ज़रूरत'

आम आदमी पार्टी को अनुभव नहीं है और उसे सलाह लेने की ज़रूरत है. आम आदमी पार्टी का संगठन नहीं है. उसमें लोग मनमानी से बोलते हैं. उन्हें रोकने के लिए कोई नहीं है. आपस में लोग लड़ रहे हैं. एक महीने में एक एमएलए असंतुष्ट हो गए.
आम आदमी पार्टी में कुछ लोग हैं जो सलाह दे सकते हैं लेकिन सलाह देना एक बात है और काम करना अलग बात है. एक और ख़तरनाक बात है कि इतने लोग आना चाहते हैं. ये पता लगाना मुश्किल है कि जो लोग पार्टी में आ रहे हैं वो भ्रष्ट हैं या ईमानदार हैं.


आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता समझते हैं कि क्या करना है. केजरीवाल वरिष्ठ नौकरशाह हैं, वो जानते हैं कि सरकार कैसे चलती है. लेकिन जानना कि सरकार कैसे चलनी चाहिए और चलाना कैसे है ये अलग बात है.

...क्या गंजे अब कंघी खरीद चुके हैं?

राहुल गांधी

राहुल गांधी भी जोश में आ सकते हैं, गरज सकते हैं, बरस सकते हैं और आक्रामक भाषण देने की क्षमता भी रखते हैं. इनका ये नया रुख़ आज दिल्ली में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में दिए गए उनके भाषण में नज़र आया.
उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी में दिए अपने भाषण में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की कई उपलब्धियां गिनाईं.

उन्होंने कहा, "आज मीडिया क़ानून बना रहा है, न्यायपालिका क़ानून बना रही है लेकिन जिन्हें क़ानून बनाने के लिए जनता ने चुना है वे इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं. उन्हें इस प्रक्रिया में वापस लाना होगा."राहुल ने कहा, "आरटीआई का कानून हमने दिया है. किसी ने नहीं कहा, किसी ने हम पर दबाव नहीं डाला. कांग्रेस पार्टी ने ख़ुद यह पहल की. हमने सोचा कि देश को सरकार के बारे में जानना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "हमने आपको लोकपाल बिल दिया, विपक्ष ने साल दर साल संसद में रुकावटें पैदा की हैं."

बस राहुल और सोनिया

राहुल और सोनिया गांधी

बार-बार उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लिया. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज राजनीति की पैकेजिंग और सेल्स का ज़माना है. उन्होंने कहा बीजेपी गंजे को कंघी बेच रही है और आम आदमी पार्टी उसे 'हेयर कट' दे रही है.
उनके भाषण से पहले और बाद में उनकी माँ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आत्मविश्वास से भरे भाषण दिए. दोनों ने बैठक में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरने की भरपूर कोशिश की.
दो एक दिन पहले भूतपूर्व कांग्रेसी नेता नटवर सिंह ने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि सोनिया और राहुल ही कांग्रेस हैं. आज की बैठक में नटवर सिंह की बात स्पष्ट रूप से सही लगी.
दिन भर चली इस सभा में देश के कोने कोने से आए कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता सिर्फ इन्हीं दोनों को सुनने आए थे. और उनके भाषणों के बीच जोश में नारे भी लगा रहे थे.

अब देर हो चुकी है

राहुल गांधी
राहुल ने कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरने की भरपूर कोशिश की

अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाना और पहले से अब तक का सब से अधिक आक्रामक रुख धारण करना पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश तो ला सकता है लेकिन क्या आने वाले आम चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में कामयाब हो सकता है? शायद नहीं.
राहुल गांधी की गिनाई सरकार की सभी उपलब्धियां सही हो सकती हैं लेकिन जनता के मन में जो कांग्रेस के खिलाफ पिछले चार साल से नाराज़गी है उसे दूर करने में शायद देर हो चुकी है.
अगर राहुल गांधी यही रुख पहले से अपनाते और उपलब्धियों की बातें इतने दबंग अंदाज़ में पहले से करते आ रहे होते तो शायद पार्टी और सरकार के प्रति लोगों की राय बदल सकती थी लेकिन जैसा कि नटवर सिंह ने कहा "अब देर हो चुकी है. तीन महीने काफी नहीं होते."
शायद गंजे अब कंघी खरीद चुके हैं.

दिल्ली के एक होटल में मिला सुनंदा पुष्कर थरूर का शव

सुनंदा पुष्कर और शशि थरूर
केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर दिल्ली में एक पांच सितारा होटल में मृत मिली हैं. पुलिस को संहेद है कि ये आत्महत्या का मामला हो सकता है.
पुलिस का कहना है कि सुनंदा पुष्कर का शव शुक्रवार रात होटल लीला के कमरा नंबर 345 में मिला. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बीबीसी के साथ बातचीत में इसकी पुष्टि की है. पुलिस ने होटल के इस कमरे को सील कर दिया है और मजिस्ट्रेट भी मौक़े पर पहुँच गए हैं.

शशि थरूर के प्राइवेट सेक्रेटरी अभिनव कुमार ने पत्रकारों को बताया कि गुरुवार से ही शशि थरूर और सुनंदा होटल में रुके हुए थे
पुष्कर और थरूर उन खबरों के आने के बाद सुर्ख़ियों में थे जिनमें कहा गया था कि सुनंदा अपने पति और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच कथित एसएमएस और ट्वीट संदेशों की वजह से परेशान थीं.
अभिनव कुमार ने पत्रकारों को बताया, "शशि थरूर कांग्रेस की बैठक के बाद एक कार्यक्रम में गए थे और उसके बाद रात 8:30 बजे के आसपास होटल पहुँचे. कुछ देर बाद जब वे सुइट के कमरे में गए, तो उन्होंने सुनंदा को मृत देखा."
होटल लीला
शशि थरूर ने शुक्रवार को ही आठ बजे रात में ये ट्वीट किया था कि वे अपनी पत्नी की तबीयत ख़राब होने के कारण जयपुर साहित्य उत्सव में शामिल नहीं हो पाएँगे.
शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर की शादी साल 2010 में हुई थी. 52 वर्षीय सुनंदा पुष्कर की ये तीसरी शादी थी.

तकरार

एक दिन पहले ही पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से ट्विटर पर उनकी काफ़ी तकरार हुई थी.
जिसके बाद शशि थरूर और पत्नी सुनंदा पुष्कर ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा था कि वे सुखी वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक रहे शशि थरूर को साल 2010 में भारत सरकार के मंत्रिपद से एक विवाद के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा था जिसमें आईपीएल क्रिकेट टीम की निविदा में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए थे.
लेकिन कुछ समय बाद उन्हें मंत्री परिषद में दोबारा शामिल कर लिया गया था.

प्रतिक्रिया

सुनंदा पुष्कर की मौत पर लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है.
विवादों में आई पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार ने ट्विटर पर लिखा है कि वे इस घटना से सदमे में हैं. उन्होंने लिखा है- ''मैं काफ़ी सदमे में हूँ. ये काफ़ी दुखद है. मैं नहीं जानती कि मुझे क्या कहना चाहिए. आरआईपी (रेस्ट इन पीस) सुनंदा.''
शशि थरूर के बेटे ईशान थरूर ने ट्विटर पर लिखा है- ''मैं सभी लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे कृपा करके मेरे परिवार की निजता का सम्मान करें.''

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी शशि थरूर से बात की है और अपनी संवेदना व्यक्त की है.

सैफई महोत्सव के आधे खर्च में छत पा जाता हर दंगा पीड़ित






सैफई महोत्सव के आधे खर्च में छत पा जाता हर दंगा पीड़ित







समाजवाद को लेकर अलग ही सूबे की सरकार की अलग ही परिभाषा है। मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों को लेकर सरकार पर सवाल उठे तो भीषण ठंड के बाद भी शिविर उजाड़ दिए गए। और दूसरी ओर सरकार के 'घर' सैफई में महोत्सव के बहाने हुए जश्न के नाम पर सैकड़ों करोड़ बहा दिए गए। पीड़ितों के आंसू पोंछने के लिए अगर सरकार महोत्सव का खर्च बचा लेती तो उसके आधे में ही हर एक दंगा पीड़ित को छत नसीब हो जाती।
मुजफ्फरनगर दंगों में बेघर हुए 58 हजार लोगों की शिविरों में हो रही दुर्दशा और ठंड से मासूमों की होती मौतों पर सवाल खड़े हुए तो समाजवादी सरकार जख्मों पर मलहम लगाने के बजाय विवाद की जड़ में ही मट्ठा डालने में लग गई। मुजफ्फरनगर के 41 और शामली के 17 शिविरों को खाली कर देने का फरमान जारी हो गया। आला अफसर भी लाठी के बूते शिविर खाली कराने में जुट गए। समाजवादियों को ये भी ख्याल नहीं आया कि भीषण ठंड में पीड़ितों का होगा क्या।
सरकार की ऊर्जा विपक्षी पार्टियों की जुबान बंद करने में ज्यादा खर्च हुई, जबकि दरियादिली दिखाकर सरकार ने सैफई महोत्सव के नाम पर हुए खर्च को ही बचा लिया होता तो न सिर्फ सभी दंगा पीड़ितों को छत मिल जाती बल्कि सूबे के सभी महानगरों में असहायों के लिए ठंड में सिर छिपाने के वास्ते कई रैन बसेरों का भी इंतजाम हो जाता।
सरकार की ही लोहिया आवास योजना में लाभार्थी को आवास के लिए एक लाख 35 हजार देने का प्रावधान है, 15 हजार का योगदान लाभार्थी नकद या फिर अपने ही आवास के लिए मजदूरी करके कर सकता है। अब अगर एक परिवार में पांच लोगों को ही मान लिया जाए तो सभी पीड़ित परिवारों के लिए 11 हजार 600 आवास बनाने की जरूरत पड़ती। सभी परिवारों को लोहिया आवास ही बन जाता तो भी सरकार को 156 करोड़ 60 लाख रुपये ही खर्च करने पड़ते।
महोत्सव में खर्च हुए करीब 300 करोड़ में 147 करोड़ 40 लाख फिर भी बच जाते। बची हुई रकम से प्रदेश भर के सभी 13 नगर निगमों में हर एक को 11 करोड़ से ज्यादा की रकम रैन बसेरे बनाने के लिए मिल सकते थे, जिससे कि वहां रोजी रोटी की तलाश में पहुंचने वाले कामगारों को सर्द रात में सिर छिपाने का इंतजाम हो जाता।

यूपी: विदेश दौरे और महोत्सव को लेकर अखिलेश सरकार पर निशाना

अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव सैफ़ई महोत्सव में
मुज़फ़्फ़रनगर में शिविरों में ठिठुरते दंगा पीड़ितों की अनदेखी के आरोपों का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायकों का 17 सदस्यीय एक दल बुधवार को विदेश दौरे के लिए रवाना हुआ है.
साथ ही दूसरी ओर समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गाँव सैफ़ई में आयोजित महोत्सव में बड़े पैमाने पर बॉलीवुड सितारों के शरीक़ होने और इस कार्यक्रम पर आए ख़र्च पर भी राज्य सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.

तुर्की के अलावा यह दल हॉलैंड, ब्रिटेन, ग्रीस और संयुक्त अरब अमीरात का भी भ्रमण करेगा. अनुमान है कि इस 18 दिनों की यात्रा में लगभग एक करोड़ रूपए खर्च होंगे. इसमें दल के सदस्य अपनी तरफ से दो-दो लाख रुपए लगाएंगे. यह दल संयुक्त अरब अमीरात सहित, इन सभी देशों में संसदीय प्रणाली का अध्ययन करेगा.विदेश गए दल का नेतृत्व प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मोहम्मद आज़म ख़ान कर रहे हैं जो मुज़फ़्फ़रनगर के प्रभारी भी हैं. दल में आठ मंत्री और नौ विधायक शामिल हैं.
दल के अन्य सदस्यों में राजस्व मंत्री अंबिका चौधरी, ओम प्रकाश सिंह, अभिषेक मिश्रा, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया, भगवत सरन गंगवार, शिव कुमार बेरिया और योगेश सिंह शामिल हैं.

'सामान्य प्रक्रिया'

समाजवादी पार्टी की विधायक ग़ज़ाला लारी, इरफ़ान सोलंकी, मुनेन्द्र शुक्ला, भारतीय जनता पार्टी की विधायक सीमा द्विवेदी और राष्ट्रीय लोक दल के विधायक पूर्ण प्रकाश के साथ विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे भी इस विदेश दौरे पर गए हैं.
विधानसभा के स्पीकर माता प्रसाद पांडे और कांग्रेस के विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर भी इस भ्रमण पर जाने वाले थे किन्तु बाद में दोनों ने अपने नाम वापस ले लिए.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी इस दौरे को "सामान्य प्रक्रिया" मानते हैं. वह कहते हैं कि इन दौरों में दूसरे देशों की संसदीय प्रणाली और संस्कृति को समझने का मौका मिलता है और कई अन्य राज्यों से भी ऐसे संसदीय दल जाते रहते हैं.
प्रदीप माथुर का कहना है कि जैसे ही उनको पता चला कि उनका नाम जाने वालों की सूची में रखा गया है उन्होंने उसे हटवा दिया. किन्तु वे इस भ्रमण के पक्ष में नज़र आए.
उन्होंने बताया, "देखिए इसमें कुछ नया नहीं है. बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल को छोड़कर लगभग हर वर्ष विधायकों का एक दल ऐसे भ्रमण पर जाता रहा है. मैंने खुद ऐसे दौरों से संसदीय प्रणाली में बहुत कुछ सीखा है."

समय पर सवाल

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के लगभग सभी विधायक राज्य स्तर पर राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सदस्य होते हैं. इन दौरों का ख़र्च विधायक, सरकार और संघ मिलकर वहन करते हैं.
यह पूछने पर कि संयुक्त अरब अमीरात में किस संसदीय प्रणाली का अध्ययन होगा, प्रदीप माथुर हँसकर बात टाल गए.
एक तरफ़ तो ये विधायक मंत्री विदेश दौरे पर गए हैं तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य मुलायम सिंह यादव के गाँव सैफई में बॉलीवुड के सितारों और अन्य कलाकारों के रंगारंग कार्यक्रम में शामिल हुए हैं.
बड़े ख़र्चे पर आयोजित हुए सैफ़ई महोत्सव में बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों को कार्यक्रम पेश करने के लिए बुलाया गया. इस कार्यक्रम में सलमान ख़ान, माधुरी दीक्षित, आलिया भट्ट, सारा ख़ान, सोहा अली ख़ान जैसे बॉलीवुड सितारे शरीक़ हुए हैं.
भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आरोप लगाया है कि राज्य के मंत्री लोगों की सेवा करने के बजाए मस्ती करने में ज़्यादा लगे हैं. उन्होंने कहा, "मुज़फ़्फ़रनगर की वजह से राज्य की काफ़ी बदनामी हुई है. लोगों की वहाँ सुविधाओं के अभाव में मौत हो रही है और समाजवादी पार्टी के नेता सैफ़ई में बॉलीवुड सितारों के कार्यक्रम के मज़े ले रहे हैं. ये दिखाता है कि वे लोगों को लेकर कितने चिंतित हैं."

उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की राय में मंत्रियों और विधायकों के भ्रमण के लिए यह समय ग़लत है और जनता के पैसे की बर्बादी है. उनका कहना है, "यात्रा के लिए जिन राष्ट्रों को चुना गया है वे भी अध्ययन के लिए उपयुक्त नहीं हैं. यह समय था जब मंत्रियों को प्रदेश और विधायकों को अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को देखना चाहिए बजाय इसके कि वे विदेश भ्रमण पर जाएँ."

आप ने जीता विश्वास मत, अब होगी असली परीक्षा



आशा के अनुरूप दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया। इससे पहले सदन में मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा पेश विश्वास मत पर चर्चा में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आमराय से सरकार चलाने की मंशा जतायी। उन्होंने कहा, उनकी किसी पार्टी से दुश्मनी नहीं है। उनका रुख चुनाव प्रचार और परिणाम आने के बाद के एलान से बदला हुआ है जिसमें उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के लिए सख्त अल्फाज इस्तेमाल करते हुए उनके भ्रष्ट नेताओं को जेल तक भेजने की बात कही थी। केजरीवाल ने सभी दलों से साथ मिलकर आम आदमी की समस्याओं को दूर करने का आह्वान किया।
अपने करीब आधा घंटे के नपे-तुले भाषण में केजरीवाल ने 65 साल की शासन व्यवस्था पर प्रहार किया। कहा, विकास के नाम पर खर्च हुआ धन कहां गया। आम आदमी परेशान है। उन्होंने कहा, राजनीति भ्रष्ट हो गई है इसलिए देश का आम आदमी समस्याओं से घिरा हुआ है। दिल्ली की जनता ने भ्रष्ट राजनीति को उखाड़ फेंकने की शुरुआत की है। केजरीवाल ने स्वराज की कल्पना को साकार करने के लिए सभी दलों से समर्थन मांगा।
इससे पहले विपक्ष के नेता हर्षवर्धन ने आप सरकार पर सत्ता के लिए भ्रष्ट कांग्रेस से हाथ मिलाने का आरोप लगाया। कहा, जो अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी चुनाव प्रचार में कांग्रेस के भ्रष्टाचार की बात करते थे, वही अब मुख्यमंत्री बनने के बाद पूर्व सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप हो गए हैं। भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी और आम आदमी पार्टी द्वारा कश्मीर में जनमत संग्रह कराने और उसे आजाद करने, बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने आदि कई अन्य मामलों को गिनाकर केजरीवाल से माफी मांगने को कहा।
कांग्रेस की ओर से बोलते हुए विधायक एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा, आप की सरकार यदि जनता के हित में काम करती रहेगी तो वह विश्वास दिलाते हैं कि उनकी पार्टी पूरे पांच साल केजरीवाल का समर्थन करेगी। इसलिए सरकार निश्चिंत होकर अच्छा कार्य करे। मुफ्त पानी और बिजली दरों में रियायत के मुद्दों पर लवली ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने सब्सिडी के हेड को बदलने का जो कार्य किया है, वह गलत है। इस आशय का फैसला सदन में होना चाहिए था- जो बजट परंपरा है। लवली ने सरकार से भ्रष्टाचार पर कड़े कदम उठाने की अपील की। चर्चा के बाद विश्वास मत के समर्थन में 37 और विरोध में 32 मत पड़े। 28 सदस्यों वाली आप को कांग्रेस के सात सदस्यों का समर्थन मिला। जदयू विधायक शोएब इकबाल और निर्दल विधायक रामबीर शौकीन भी सरकार के साथ खड़े हुए।