'केजरीवाल की तमाशे की सरकार'

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली
मेरा ये ख़्याल है कि दिल्ली की जो सरकार है अभी तक लगता है कि वो नई पार्टी है, उसका संगठन ठीक नहीं है, अनुशासन ठीक नहीं है. उनके लोग और मंत्री भी मनमानी से बोलते हैं. मुझे लगता है कि अगर कुछ अनुशासन नहीं रख सकते तो हो सकता है कि वो टूट जाएगी.
ये कोई नहीं चाहता कि सरकार गिर जाए. इस पार्टी को समर्थन बहुत है. बहुत लोग चाहते हैं कि वो सरकार ठीक चलाएं और दिखाएं कि वो राज कर सकते हैं.


हालांकि अभी इस नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा कि ये पार्टी सरकार नहीं चला सकती. अभी तक ये लगता है कि अगर ये कुछ बदलाव नहीं लाते तो लोग ज़रूर कहेंगे कि ये लोग राजनीति के लिए उचित नहीं हैं, राज करने के लिए ठीक नहीं हैं.लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी ने नहीं दिखाया कि वो राज कर सकते हैं.
ये पार्टी हर मुद्दे पर सड़क पर उतर जाती है जो कि ग़लत है. आज मैं एक दुकान में गया था जहां दुकानदार ने मुझसे पूछा कि मैं केजरीवाल के बारे में क्या सोचता हूं.
मैंने उनसे कहा कि अभी तक उनकी सरकार तमाशे वाली है. ऐसे बिना सोच, बिना योजना, बिना अनुशासन के सड़क पर आना पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाएगा.

'विश्वास टूट जाएगा'

आम आदमी पार्टी, दिल्ली
अभी ये कोई नहीं कह सकता कि जनता का विश्वास टूट जाएगा लेकिन अगर यही हालत रहती है और उनके प्रदर्शन में सुधार नहीं होता और वो ये नहीं दिखा सकते कि पार्टी में अंदरूनी अनुशासन है तो विश्वास ज़रूर टूट जाएगा.
उन्हें आराम से दिल्ली में सुशासन लाना चाहिए. उन्हें दिल्ली को दिखाना चाहिए कि भ्रष्टाचार कम हुआ है, सरकारी नौकर ठीक ढंग से काम कर रहे हैं और मंत्री भी ठीक ढंग से काम करते हैं. जनता सुशासन और ईमानदार शासन चाहती है.
आम आदमी पार्टी के ये स्टिंग ऑपरेशन बहुत ख़तरनाक हैं. पत्रकार परंपरा के मुताबिक तभी स्टिंग ऑपरेशन करते हैं जब सभी विकल्पों की उम्मीद ख़त्म हो जाए. पत्रकार बिना योजना और गहरी सोच के स्टिंग ऑपरेशन नहीं करते. ये लोग अचानक से आते हैं रास्ते में और बिना सोच और बिना अनुशासन के स्टिंग ऑपरेशन कर रहे हैं.
अगर आप अपनी नीतियों को पूरा करने की कोशिश करती है और अनुशासन से काम करती है तब तो ये जनता के लिए बहुत कुछ कर सकती है.
अगर उनका यही रवैया रहा तो लोकसभा चुनावों में उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. उनके अवसर बहुत कम होंगे.
आम आदमी पार्टी
अभी उनके जनता दरबार में कैसी हालत हुई थी, इतनी पसोपेश हुई कि केजरीवाल ने कहा कि हम जनता दरबार दोबारा नहीं कर सकते. अगर आप बार-बार बोलते हैं कि लोग पुलिस के ख़िलाफ़ झंडा उठा लें तो पुलिस काम नहीं कर सकेगी, सरकार काम नहीं कर सकेगी.

'सलाह की ज़रूरत'

आम आदमी पार्टी को अनुभव नहीं है और उसे सलाह लेने की ज़रूरत है. आम आदमी पार्टी का संगठन नहीं है. उसमें लोग मनमानी से बोलते हैं. उन्हें रोकने के लिए कोई नहीं है. आपस में लोग लड़ रहे हैं. एक महीने में एक एमएलए असंतुष्ट हो गए.
आम आदमी पार्टी में कुछ लोग हैं जो सलाह दे सकते हैं लेकिन सलाह देना एक बात है और काम करना अलग बात है. एक और ख़तरनाक बात है कि इतने लोग आना चाहते हैं. ये पता लगाना मुश्किल है कि जो लोग पार्टी में आ रहे हैं वो भ्रष्ट हैं या ईमानदार हैं.


आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता समझते हैं कि क्या करना है. केजरीवाल वरिष्ठ नौकरशाह हैं, वो जानते हैं कि सरकार कैसे चलती है. लेकिन जानना कि सरकार कैसे चलनी चाहिए और चलाना कैसे है ये अलग बात है.