...क्या गंजे अब कंघी खरीद चुके हैं?

राहुल गांधी

राहुल गांधी भी जोश में आ सकते हैं, गरज सकते हैं, बरस सकते हैं और आक्रामक भाषण देने की क्षमता भी रखते हैं. इनका ये नया रुख़ आज दिल्ली में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में दिए गए उनके भाषण में नज़र आया.
उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी में दिए अपने भाषण में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की कई उपलब्धियां गिनाईं.

उन्होंने कहा, "आज मीडिया क़ानून बना रहा है, न्यायपालिका क़ानून बना रही है लेकिन जिन्हें क़ानून बनाने के लिए जनता ने चुना है वे इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं. उन्हें इस प्रक्रिया में वापस लाना होगा."राहुल ने कहा, "आरटीआई का कानून हमने दिया है. किसी ने नहीं कहा, किसी ने हम पर दबाव नहीं डाला. कांग्रेस पार्टी ने ख़ुद यह पहल की. हमने सोचा कि देश को सरकार के बारे में जानना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "हमने आपको लोकपाल बिल दिया, विपक्ष ने साल दर साल संसद में रुकावटें पैदा की हैं."

बस राहुल और सोनिया

राहुल और सोनिया गांधी

बार-बार उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लिया. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज राजनीति की पैकेजिंग और सेल्स का ज़माना है. उन्होंने कहा बीजेपी गंजे को कंघी बेच रही है और आम आदमी पार्टी उसे 'हेयर कट' दे रही है.
उनके भाषण से पहले और बाद में उनकी माँ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आत्मविश्वास से भरे भाषण दिए. दोनों ने बैठक में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरने की भरपूर कोशिश की.
दो एक दिन पहले भूतपूर्व कांग्रेसी नेता नटवर सिंह ने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि सोनिया और राहुल ही कांग्रेस हैं. आज की बैठक में नटवर सिंह की बात स्पष्ट रूप से सही लगी.
दिन भर चली इस सभा में देश के कोने कोने से आए कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता सिर्फ इन्हीं दोनों को सुनने आए थे. और उनके भाषणों के बीच जोश में नारे भी लगा रहे थे.

अब देर हो चुकी है

राहुल गांधी
राहुल ने कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरने की भरपूर कोशिश की

अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाना और पहले से अब तक का सब से अधिक आक्रामक रुख धारण करना पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश तो ला सकता है लेकिन क्या आने वाले आम चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में कामयाब हो सकता है? शायद नहीं.
राहुल गांधी की गिनाई सरकार की सभी उपलब्धियां सही हो सकती हैं लेकिन जनता के मन में जो कांग्रेस के खिलाफ पिछले चार साल से नाराज़गी है उसे दूर करने में शायद देर हो चुकी है.
अगर राहुल गांधी यही रुख पहले से अपनाते और उपलब्धियों की बातें इतने दबंग अंदाज़ में पहले से करते आ रहे होते तो शायद पार्टी और सरकार के प्रति लोगों की राय बदल सकती थी लेकिन जैसा कि नटवर सिंह ने कहा "अब देर हो चुकी है. तीन महीने काफी नहीं होते."
शायद गंजे अब कंघी खरीद चुके हैं.